लेखनी प्रतियोगिता -09-Dec-2022
संस्कृति का आज लोग मजाक बना देते है
अंग्रेजी आती नही उसे गवार हो ये सुना देते
राष्ट्रीय भाषा को हम बोलने से जी चुराते
हो न जाए बेइज्जती इस बात से घबराते
तुलसी जैसे पौधो को आंगन में न लगाते है
कैक्टस जैसे पौधो को घर कीशोभा में सजाते है
साड़ी पहने लोग को आज पुराने जमाने का कहा जाता है।
कहते है पूर्वजों में तो साड़ी का चलन था अब तो सब दिखावा है
जीते है खुशी से संस्कृति हटाने का बढ़ावा है
छोटे कपड़ो ,हाई हील से ही हाई स्टैंडर्ड बताते है
लेट नाइट पार्टी ,रिजॉल्ट्स बस यही सोच रख पाते है
जाते नही मंदिर ,मस्जिद बस स्टेटस की बहार है
अब कहां पहले की तरह युनिटी वाला त्योहार है
हे हेलो के चक्कर में भूल जाते संस्कार है
न नमस्ते न प्रणाम अब न बचा कोई सम्मान है
बच्चो में अभिमान है हम सही ये ही तो गुमान है
संस्कृति के पीछे छोड़ने के किस्से तमाम है
पहले किताबो से अकसर लोगो को हुआ करता था लगाव कभी
लाइब्रेरी में किताबो का पढ़ना फिर खबर पढ़के बहेश करना
अब तो किताबो का नाता नहीं न स्टोरी बुक न चंपक बच्चो से पढ़ा जाता नही
पर स्कूल , पढ़ाई की रेस और कंप्यूटर मोबाइल में जीवन लगा दिया
संस्कृति की हिंदी से मानो जैसे नाता गवा दिया
गायों के सेवा करके गाय को भोजन कराते थे
गौशाला बनवाते थे पुण्य का काम करना जानते थे
अब घरों के काम से फुरसत नहीं खुद के पाले पैट्स के ही अनेक काम है
गौ हत्या न हो गौ सेवा करे यही सब पुण्य का काम है।।
संस्कृति को अपनाओ
Pranali shrivastava
10-Dec-2022 07:54 PM
शानदार
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Abhinav ji
10-Dec-2022 09:16 AM
Very nice👍
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
10-Dec-2022 08:22 AM
शानदार प्रस्तुति 👌
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